हजरत इमाम हुसैन और कर्बला के शहीदों का मनाया गम
लखनऊ। बृहस्पतिवार को भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच पुराने लखनऊ के विक्टोरिया स्ट्रीट स्थित नाजिम साहब के इमामबाड़े से चेहलुम का जुलूस निकाला गया जो पूर्व निर्धारित रास्तों से होता हुआ कर्बला तालकटोरा पहुंच कर सम्पन्न हुआ। जुलूस में शामिल मातमी अंजुमनें अपने अलम के साथ नौहाख्वानी व सीनाजनी करती चल रही थीं। वहीं जुलूस में शामिल बड़ी संख्या में अकीदतमंदों ने शहीदों के गम में कमा और छुरियों का मातम कर खुद को लहूलुहान कर लिया।
इमाम हुसैन और कर्बला के शहीदों के गम में बृहस्पतिवार को चेहलुम का जुलूस निकाला गया। जुलूस से पहले नाजिम साहब के इमामबाड़े में हुई मजलिस को मौलाना कल्बे जव्वाद नकवी के पुत्र मौलाना कल्बे अहमद नकवी ने खिताब किया। मजलिस के बाद इमामबाड़े से मातमी अंजुमनें अपने अलम के साथ नौहाख्वानी व सीनाजनी करती हुई अकबरी गेट, नक्खास तिराहा, टूड़ियागंज, बाजारखाला, हैदरगंज, बुलाकी अड्डा, एवरेडी तिराहा होते हुए कर्बला तालकटोरा पहुंची। 72 शहीदों की याद में निकले चेहलुम के जुलूस में अंजुमन गुंचा-ए-मजलुमिया, अब्बासिया, काजमिया आबिदया, शहीदाने कर्बला, शब्बीरया, रौनक-ए-दीने इस्लाम सहित शहर की करीब दो सौ अधिक मातमी अंजुमनें सीनाजनी करती हुई अपने अपने अलम के साथ जुलूस में शामिल हुईं।
जुलूस में शामिल अंजुमन अब्बासिया ने अपना नौहा, पहुंचा जो कैदखाने में हुक्मे अमीरे शाम, चेहलुम हुआ तमाम, पढ़ा तो अकीदतमंद खुद पर काबू न रख सके। आखिर में अंजुमन रौनके दीने इस्लाम ताबूत, गहवारे, ऊंटों पर अमारियां, जुलजनाह और अलम के साथ नौहाख्वानी व सीनाजनी करती हुई जुलूस में शामिल हुई। देर शाम तक अंजुमनों के कर्बला तालकटोरा पहुंचने का सिलसिला जारी रहा। कर्बला में अलविदाई मजलिस के बाद जुलूस सम्पन्न हुआ। जुलूस में हजरत अब्बास की निशानी अलम, हजरत इमाम हुसैन के छह माह के बेटे हजरत अली असगर का गहवारा और हजरत इमाम हुसैन की सवारी का प्रतीक जुलजनाह शामिल रहे। जुलूस में बड़े, बुजुर्गों के साथ साथ बच्चे भी शामिल रहे।