आल इंडिया मिल्ली काउंसिल की ओर से इस्लामिक सेंटर में हुई शोकसभा
लखनऊ। स्वर्गीय मौलाना जाफर मसूद हसनी नदवी इल्मो-अमल के पैरोकार थे। वह सादगी, नरमदिली, नाम-नमूद से दूर, मोहब्बत और शफकत, खुलूस व खुशगवारी के हसीन पैकर थे। यह बात इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया के चेयरमैन इमाम ईदगाह मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कही।
वे सोमवार को ऐशबाग ईदगाह स्थित इस्लामिक सेंटर में दारुल उलूम नदवतुल उलमा के नायब नाजिम स्वर्गीय मौलाना जाफर मसूद की हयात और खिदमात विषयक जलसे को खिताब कर रहे थे। जलसे की अध्यक्षता नाजिम नदवतुल उलमा मौलाना बिलाल अब्दुल हई हसनी नदवी ने की जबकि मुख्य अतिथि के रूप में नदवा के नाजिरे आम मौलाना अम्मार अब्दुल अली हसनी नदवी शामिल हुए।
जलसे का आगाज कारी तरीकुल इस्लाम ने तिलावते कलामे पाक से किया।
मौलाना खालिद रशीद ने स्वर्गीय मौलाना के साथ अपने संबंधों का जिक्र करते हुए कहा कि कई अहम मौके पर उनसे सलाह-मशविरा हुआ। नरमी से बात करना, दूसरों की बात को सुनना और उसे अहमियत देना हमें प्रभावित करती थी।
मौलाना ने कहा कि स्वर्गीय मौलाना बड़े आलिम, कामयाब उस्ताद और पत्रकार थे। उनके निधन से हमें गहरा दुख हुआ है। मौलाना कमाल अहमद नदवी ने स्वर्गीय मौलाना की शिक्षा-दीक्षा का जिक्र करते हुए कहा कि अपनी खूबियों की वजह से वह सबके प्रिय थे। जलसे में मौलाना जावेद इकबाल नदवी, मौलाना डॉ. फरमान नदवी, मुफ्ती नौशाद आलम नदवी, मौलाना जकी नूर, डॉ. सुल्तान शाकिर हाशमी, मौलाना बिलाल अब्दुल हई हसनी नदवी ने भी सम्बोधित करते हुए स्वर्गीय मौलाना के व्यक्तित्व और कृतित्व पर रोशनी डाली। मौलाना अबुल हसन अली नदवी ने स्वर्गीय मौलाना को अपना नजराना पेश किया।